Monday, July 21, 2025
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परमार्थ निकेतन पहुंचे सुधांशु जी महाराज ने की स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट 

-परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शंखध्वनि और पुष्प वर्षा कर किया दिव्य अभिनन्दन
-स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सुधांशु जी महाराज को रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
-परमार्थ निकेतन में सुधांशु जी महाराज और दीदी अर्चिका जी के पावन सान्निध्य में तीन दिवसीय साधना शिविर का आयोजन

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में श्री सुधांशु जी महाराज पधारे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग किया। भारत के अनेक राज्यों से आये साधक सुधांशु जी महाराज और दीदी अर्चिका जी के पावन सान्निध्य में ध्यान साधना का आनन्द ले रहे हैं।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जीवन को उसके वास्तविक स्वरूप में जीने की सर्वोत्तम विधा है ’ध्यान’। ध्यान से तत्पर्य है जीवन को वैसे ही देखना, जैसे वो वास्तव में हैं। ध्यान, हमें भविष्य के भय और भूत की चिंताओं से मुक्त रखता है। ध्यान बुद्धत्व को प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। ध्यान साधना हमें जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देती है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देती है।
स्वामी जी ने कहा कि ध्यान साधना केवल कुछ दिनों की साधना नहीं है बल्कि पूरे जीवन की साधना है ताकि हम जीवन के दुख और सुख का सही अवलोकन करें। जीवन की पवित्रता और सत्यता को बनाये रखने हेतु ध्यान आवश्यक है। जीवन में शुभ की उत्पत्ति और अशुभ का निरोध भी ध्यान के माध्यम से ही सम्भव हो सकता है। उन्होंने सभी साधकों को पर्यावरण संरक्षण की साधना का संकल्प लेने की प्रेरणा दी।
सुधांशु जी महाराज ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर कहा कि हिमालय की गोद और माँ गंगा के तट पर स्थित अपने घर में आ गये हैं। स्वर्गाश्रम वास्तव में स्वर्ग है, यहां की गयी साधना का अपना महत्व है। उत्तराखंड साधना, स्वाध्याय और अध्यात्म की भूमि है। यह धरती तप और त्याग की भूमि है जहां से न केवल गंगा प्रवाहित हुई बल्कि ज्ञान की गंगा भी सतत प्रवाहित हो रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सुधांशु जी महाराज ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया स्वामी जी ने रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।

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