Sunday, July 20, 2025
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विश्व निमोनिया दिवस: प्रदूषण से मुक्ति का एक ही मार्ग है- समेकित प्रयत्न व सह-अस्तित्व के साथ आगे बढ़ना: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारत में बढ़ रहे वायु प्रदूषण तथा प्रदूषण के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्राइमरी स्कूल बंद होने पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि अब तो प्रदूषण के कारण न केवल स्वास्थ्य बल्कि शिक्षा भी प्रभावित हो रही है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रदूषण की समस्या से मुक्ति का एक ही मार्ग है- समेकित प्रयत्न व सह-अस्तित्व के साथ आगे बढ़ना क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिये स्वच्छ वायु चाहिये अतः सभी को अपने स्तर पर प्रयत्न करना होगा और प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिये पेड़-पौधों का रोपण कर योगदान भी देना  होगा।
साथ ही सभी राष्ट्रों को प्रगति की अंधाधुंध होड़ की बजाय प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का मार्ग अपनाना होगा ताकि जो प्राकृतिक संसाधन और स्वच्छ वातावरण हमें प्राप्त हुआ, वही संसाधन, शुद्धता और पवित्रता हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त हो सके, इसके लिये अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों, मूल, परंपराओं और अतीत को साथ लेकर चलना होगा क्योंकि अपनी जड़ों से पलायन कर हम प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं कर सकते। स्वामी जी ने कहा कि हम अपनी जड़ों से जुड़े रहे और इस पर हमें गर्व भी होना चाहिये।
ज्ञात हो कि निमोनिया फेफड़ों में एक गंभीर संक्रमण की स्थिति है, जो कि बैक्टीरिया के कारण होता है। चूँकि निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, इसलिये इसके सबसे आम लक्षण खाँसी, साँस लेने में परेशानी और बुखार हैं। निमोनिया से पीड़ित बच्चों में तेज साँस लेने जैसे लक्षण पाए जाते हैं। भारत में निमोनिया से सालाना अनुमानित 71 प्रतिशत मौतें होती हैं और गंभीर निमोनिया के 57 प्रतिशत मामले देखे जाते हैं।
एक वैश्विक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चे न्यूमोनिया के कारण मौत के मुँह में जा सकते हैं। यह अध्ययन जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एवं यूनाइटेड किंगडम की ग्लोबल चैरिटी ऑर्गनाइजेशन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के विश्लेषण पर आधारित है। अध्ययन में 2030 तक पूरे विश्व में न्यूमोनिया के कारण 5 साल से कम उम्र के करीब 1.1 करोड़ बच्चों के मरने की आशंका जताई गई है। यह रोग उपचार योग्य होने के बावजूद बड़ी संख्या में मौतों का कारण बनता जा रहा है परन्तु वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखकर कुल 41 लाख मौतों को टाला जा सकता है।
देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर व धुंध (स्मॉग) की समस्या के कारण लोगों के समक्ष गंभीर स्वास्थ्य चिंताएँ उत्पन्न होने लगीं। राजधानी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में पराली प्रथा (पुआल जलाने) से उपजे धुएँ तथा सैकड़ों ईंट-भट्ठों से वायु में प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिये हमें कचरे और पराली को जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा तभी निमोनिया जैसी बीमारियों को कम किया जा सकता है।

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