Tuesday, June 10, 2025
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समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखण्ड 

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने की अधिकारिक घोषणा करते हुए कहा है कि आज का दिन सिर्फ उत्तराखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक है। आज से उत्तराखंड में समाज में समानता स्थापित करने के लिए, समान नागरिक संहिता लागू हो गई है।

सोमवार को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधिवत तौर पर समान नागरिक संहिता की अधिसूचना का अनावरण, यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी शुभारंभ और यूसीसी नियमावली बुकलेट का विमोचन किया।

यूसीसी पोर्टल पर मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपने विवाह का पहला पंजीकरण कराया, जिसका प्रमाणपत्र मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मुख्यमंत्री को सौंपा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यूसीसी के तहत सर्वप्रथम पंजीकरण कराने वाले पांच आवेदकों को भी प्रमाणपत्र प्रदान किए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तय करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी ने 2.35 लाख लोगों से सम्पर्क साधा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करके राज्य सरकार संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ बी.आर. अंबेडकर सहित संविधान सभा के सभी सदस्यों को सच्ची भावांजलि दे रही है।

भावुक होकर की घोषणा
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बेहद भावुक होकर सवा करोड़ उत्तराखंडवासियों के सामने समान नागरिक संहिता पूर्ण रूप से लागू करने की घोषणा कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें हर्ष के साथ ही गर्व की भी अनुभूति हो रही है। इसके साथ राज्य में प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गए हैं। साथ ही सभी धर्म की महिलाओं को भी समान अधिकार मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो पाई है, इसके लिए उन्होंने पूरे उत्तराखंडवासियों की ओर से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार व्यक्त किया।

पूरा हुआ संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के दौरान 12 फरवरी 2022 को उन्होंने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का संकल्प लिया था। तब उन्हें नया-नया दायित्व मिला था, इसके सात महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में जाना पड़ा। इसलिए कई लोग तब इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। लेकिन उन्हें पूरा भरोसा था कि उत्तराखंड की देवतुल्य जनता इस काम में उनका साथ देगी। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार दुबारा भाजपा की सरकार बनी। सरकार बनने के बाद पहला निर्णय उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर लिया गया।

पहले छह महीने में नहीं लगेगा शुल्क
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी जाति धर्म लिंग के आधार पर कानूनी भेदभाव समाप्त करने का संवैधानिक उपाय है, इसके जरिए सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके जरिए महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिचित हो सकेगा। साथ ही हलाला, तीन तकाल, इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगेगी। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इससे उनके रीति रिवाजों का संरक्षण हो सकेगा। जिन पंजीकृत व्यक्तियों का विवाह यूसीसी के लागू होने से पूर्व पंजीकृत हुआ हो या तलाक की डिक्री घोषित हुई हो या विवाह निरस्त हुआ हो, उनसे पहले छह महीने में किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जायेगा।

किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नही
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है। यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर, समानता से समरता कायम करने का कानूनी प्रयास है। इसमें किसी की भी मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व के प्रमुख मुस्लिम और विकसित देशों में पहले से ही यूसीसी लागू है। इस कानून द्वारा सभी लोगों के लिए विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार के नियमों को समान किया गया है। सभी धर्म के लोग अपने अपने रीति रिवाजों से विवाह कर सकते हैं। लेकिन अब सभी धर्मों में लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 कर दी गई है। साथ ही पति या पत्नी के रहते दूसरे विवाह को प्रतिबंध किया गया है। समान नागरिक संहिता में बाल अधिकारों को संरक्षित किया गया है, साथ ही बेटियों को सम्पति में समान अधिकार दिए गए हैं। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद न हो इसके लिए मृतक की संपत्ति में पत्नी, बच्चे और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं।

यूसीसी के तहत की गई है, ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए, लिव इन के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, युगल की सूचना रजिस्ट्रार माता-पिता या अभिभावक को देगा। यह जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहेगी। लिव इन से पैदा बच्चों को भी समान अधिकार दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी को लागू करने के लिए सरलीकरण के मूल मंत्र पर चलते हुए, ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है, साथ ही स्पष्ट नियमावली भी लागू कर दी गई है। पूरा ध्यान रखा गया है कि इसके लिए किसी भी नागरिक को दिक्कत का सामना न करना पडे।

27 जनवरी को मनाया जायेगा यूसीसी दिवस
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अब प्रदेश में प्रति वर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि धारा 370, तीन तलाक, राम मंदिर को लेकर जितने भी संकल्प लिये गये थे, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे किये गये हैं।

इस अवसर पर यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने यूसीसी नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी जबकि सचिव शैलेश बगोली ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, सौरभ बहुगुणा, राज्यसभा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायकगण, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, यूसीसी नियमावली समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह, प्रो. सुरेखा डंगवाल, मनू गौड़, अजय मिश्रा, शासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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