ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज धनतेरस के अवसर पर देशवासियों को उत्तम आरोग्य व समृद्धि की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भगवान धन्वंतरी जी आरोग्य व आयुर्वेद के देवता हैं। समुद्र मंथन के समय वे हाथों में अमृत कलश लेकर अवतरित हुये थे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने धनतेरस से भाईदूज तक चलने वाले पांच दिवसीय दीपावली पर्व की सभी को शुभकामनायें देते हुये कहा कि धनतेरस से भाई दूज तक चलने वाला दीपों का उत्सव सभी के जीवन में खुशियों की सौगातों को लेकर आये।उन्होंने कहा कि आज आरोग्य के देवता धनवंतरि जी का अवतरण दिवस भी है जो यह संदेश देते हैं कि आरोग्य ही सच्ची संपति है इसलिये स्वयं और अपनी धरती दोनों के स्वस्थ जीवन और समृद्धि के लिये दीपावली के इन पांच दिनों के उत्सव को हरित व सात्विक रूप से मनायं। अपने अन्दर के उल्लास को जगायें, पटाखों के शोर से शान्ति की ओर लौटें; आरोग्य की तिजोरियों को भरें क्योंकि स्वास्थ्य ही तो जीवन है; हैल्थ इज़ वैल्थ इसलिये सुखद, सफल व समुन्नत भविष्य के निर्माण के लिये हरित पर्व मनाने के संस्कारों को परिवार में रोपित करें। स्वामी जी ने कहा कि धरती हमारा वास्तविक सोना है; धरती है तो हम है। धरती बचेगी तो हम बचेंगे इसलिये आईये इस बार धनतेरस एवं दिवाली पर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लें। स्वामी जी ने आज राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर कहा कि आयुर्वेद भारतीय विरासत और संस्कृति का अभिन्न अंग है। आयुर्वेद भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है जो लगभग 3,000 वर्षों से भी अधिक से चली आ रही है। आयुर्वेद अर्थात आयु और वेद। आयु का अर्थ है जीवन, वेद का अर्थ है विज्ञान या ज्ञान अर्थात् आयुर्वेद का अर्थ है जीवन का विज्ञान। आयुर्वेद केवल उपचार प्रणाली नहीं बल्कि समग्र स्वास्थ्य का आधार है। स्वामी जी ने आज विश्व टीकाकरण दिवस पर जीरो से पांच वर्ष के बच्चों के टीकाकरण का संदेश देते हुये कहा कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं, बच्चे सुरक्षित तो राष्ट्र सुरक्षित इसलिये अपने बच्चों के जीवन और उनके भविष्य को रोगों से सुरक्षित रखने के लिये टीकाकरण सबसे आसान और प्रभावी माध्यम है इसलिये अपने जीरो से पांच वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवाये। टीकाकरण परिवार और समुदाय को सुरक्षित व रोगमुक्त रखने के लिये अत्यंत आवश्यक है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गंगा जी की आरती के माध्यम से संदेश दिया कि ’पांच साल सात बार छूटे न टीका एक भी बार’। देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि आईये टीकाकरण अभियान से जुड़े और अपने आस-पास के लोगों को भी जीरो से पांच वर्ष के बच्चों के टीकाकरण के लिये प्रेरित करें। स्वामी जी ने पांच साल सात बार छूटे न टीका एक भी बार का सभी को हाथ खड़े कर संकल्प कराया।
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