देहरादून। शीतकाल शुरू होने से पहले चारधाम यात्रा का आखिरी पड़ाव आ गया है। बुधवार को तीर्थ पुरोहितों द्वारा दशहरे के शुभ अवसर पर उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने की तिथि घोषित हो गई है। शीतकाल के दौरान चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल भी बंद कर दिया जाएगा, जो अगले साल अप्रैल-मई में यात्रा प्रारंभ होने से पहले दोबारा शुरू होगा।
10 अक्टूबर को हेमकुंट साहिब के कपाट बंद होंगे।
26 अक्टूवर को श्री गंगोत्री धाम के कपाट 12 बजकर 1 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
27 अक्टूबर प्रात: साढे़ आठ बजे श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होंगे
27 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त में श्री यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:09 बजे बंद हो जायेंगे।
7 नवंबर को तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होंगे।
18 नवंबर को द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट बंद होंगे।
19 नवंबर को अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे।
21 नवंबर को ऊखीमठ में परंपरागत मदमहेश्वर मेला आयोजित किया जाएगा।
शीतकाल में कपाट बंद करने की मान्यता
शीतकाल में चारों धाम के कपाट बंद करने के पीछे जहां एकतरफ भारी बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाना कारण है, वहीं धार्मिक मान्यता के चलते भी कपाट बंद किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, शीतकाल में कपाट बंद होने पर स्वर्ग से देवता पृथ्वी पर आते हैं और केदारनाथ व बदरीनाथ में पूजन करते हैं. इस दौरान आम मानव भी दर्शन कर सकें, इसी कारण उनके विग्रह शीतकालीन प्रवास के लिए दूसरे मंदिरों में लाए जाते हैं।
विजयदशमी पर हुई शीतकाल हेतु चारधाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित
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