Tuesday, February 4, 2025
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संस्कृत केवल भाषा नहीं, अपितु एक जीवन शैली : डॉ. सलूजा

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के तत्वावधान में संस्कृत विद्यालय, महाविद्यालयों के शिक्षकों के शिक्षण कौशल विकास के लिए तीन दिवसीय संस्कृत शिक्षक कार्यशाला का आयोजन किया गया। शुभारंभ पर संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के निदेशक मुख्यप्रशिक्षकने कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। शिक्षा का लक्ष्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है, जिसमें शिक्षक की भूमिका सर्वोपरि है। डॉ. चांदकिरण ने कहा कि शिक्षण कार्य वृत्ति नहीं अपितु सर्वोत्तम सेवा कार्य है। शिक्षा का अर्थ एक अच्छे मानव का निर्माण करना है। शिक्षक छात्रों को संस्कृत भाषा सरलतम रूप से पढ़ाने में सहयोगी बने। अकादमी के सचिव डॉ. वाजश्रवा आर्य ने कहा कि संस्कृत अकादमी प्रदेश की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के संरक्षण संवर्धन के लिए निरंतर कार्य कर रही है, संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय के शिक्षकों की पुनश्चर्या के लिए देश के प्रतिष्ठित संस्थान के प्रशिक्षकों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि प्रदेश की द्वितीय राजभाषा संस्कृत है। इसलिए संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण में भाग लेना चाहिए। अकादमी द्वारा आयोजित संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण दिया जाता सराहनीय हैं। कार्यशाला संयोजक किशोरी लाल रतूड़ी ने बताया कि संस्कृत सवर्धन प्रतिष्ठान दिल्ली की छह सदस्यीय टीम की ओर से तीन दिनों में 15 सत्रों के माध्यम से प्रदेश के 50 संस्कृत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ।
इस अवसर पर संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के पालक लक्ष्मी नरसिंहन्, विष्णु उपाध्याय, पारूल सिंह, सुनील कुमार शर्मा, मनमोहन शर्मा अकादमी की प्रशासनिक अधिकारी लीला रावत, डॉ. प्रकाशचन्द्र पन्त, विवेक, मोहित रावत, प्रीतम, पंकजनेगी, सुशील, आकांक्षा त्रिपाठी, बेबी, अवधेश, कविता शर्मा, ओमप्रकाशभट्ट, अश्वनी, संतोष, सुंदर, मुकेश, लक्ष्मी चंद, अजय आदि उपस्थित रहे।

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