देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम आदि गुरु शंकराचार्य के नाम पर किए जाने पर जोर दिया। कहा कि 2016 में उनकी सरकार ने इस सम्बन्ध में बाकायदा प्रस्ताव तक केंद्र सरकार को भेज दिया था। ऐसा उन्होंने हरिद्वार के संत समाज के आदेश पर किया था। उन्होंने कहा कि कवि निशंक कवि हृदय हैं। इसलिए उन्होंने प्रस्ताव किया कि जौलीग्रांट देहरादून हवाई अड्डे का नाम अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर किया जाए। अटल बिहारी वाजपेई पक्ष और विपक्ष, एक समन्वयवादी सहिष्णु राजनीति के पक्षधर थे। मैं भी उनका बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन वे इस मामले में 2016 में ही साफ कर चुके थे कि आदि गुरु शंकराचार्य के नाम पर नामकरण हो।
आदि गुरु शंकराचार्य से भाजपा को क्यों है तकलीफ: गरिमा दसौनी
कांग्रेस ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम आदि गुरु शंकराचार्य के नाम पर न रखने पर सवाल उठाए। प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि जौलीग्रांट हवाई अड्डे की नींव स्वर्गीय ब्रह्मदत्त ने रखी। 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने आदि गुरु शंकराचार्य के नाम पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम पर रखने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा। इसके बावजूद कभी त्रिवेंद्र रावत और कभी निशंक बार बार जौलीग्रांट हवाई अड्डे को अटल के नाम पर करने की बात करते हैं। ये सीधे तौर पर आदि गुरु शंकराचार्य का ही नहीं, बल्कि 80 करोड़ हिंदू सनातन धर्म में आस्था रखने वालों का अपमान है। भाजपा नेताओं को कांग्रेस से बैर होते होते अब आदि गुरु शंकराचार्य से भी परेशानी हो गई है।