नैनीताल। हाईकोर्ट ने नंधौर, गौला, कोसी, गंगा, दाबका समेत अन्य नदियों में बरसात के समय हो रहे भू-कटाव और बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी क्षेत्रों में जलभराव, भू-कटाव होने के मामले में शुक्रवार को सुनवाई की। पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार के आला अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट में पेश हुए अधिकारियों के बयान पर नाराजगी जताई। साथ ही अधिकारियों से अवैध खनन और नदियों के चैनलाइजेशन को लेकर विस्तृत एक्शन प्लान पेश करने को कहा है। सुनवाई पर खनन से जुड़े बड़े अधिकारी वीसी के माध्यम से पेश हुए। उन्होंने अपना पक्ष रखा, लेकिन कोर्ट उनके तर्कों से सहमत नहीं हुई। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पूर्व के आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं हुआ? क्यों नहीं अपनी मशीनरी से नदियों का चैनलाइजेशन किया गया? अभी तक जितने भी खनन के मामले कोर्ट में आए हैं, वो सब अवैध खनन से जुड़े हैं। राज्य सरकार कोर्ट के आदेश होने के बाद भी अवैध खनन पर रोक क्यों नहीं लगा पाई? इस पर अपने जवाब से अधिकारी कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी। जिसमें पीसीसीएफ, हेड ऑफ फॉरेस्ट, सचिव सिंचाई और एमडी फॉरेस्ट कॉपोरेशन को मौजूद रहने को कहा गया है।