देहरादून। प्रदेश कांग्रेस ने आशंका जताई है कि सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली के चलते अब शहर में निकाय चुनाव में वोट डालने वाले लोग पंचायत चुनाव में भी वोट डालने की तैयारी कर रहे हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि इससे संबंधित एक आदेश सरकार ने जानबूझकर दबा दिया है। ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के निर्देश पर प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार की अनुपस्थिति में संयुक्त निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात की और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का ज्ञापन उन्हें सौंपा। जिसमें कहा गया है कि सितंबर 2019 के एक सरकारी आदेश को दिसंबर 2019 में संशोधित किया गया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि यदि कोई व्यक्ति निकाय की मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद अपना नाम ग्रामसभा में दर्ज कराता है और बिना नाम कटवाए चुनाव लड़ता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे स्पष्ट दिशा-निर्देश आज तक राज्य सरकार या राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नहीं किए गए हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की है कि दिसंबर 2019 में जारी संशोधित आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। इससे पूर्व कांग्रेस भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में भी उन्होंने इस मुद्दे का उठाया। उन्होंने पंचायत चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की भी आशंका जताई। प्रतिनिधिमंडल में श्रम प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दिनेश कौशल, आनंद सिंह पुंडीर, राम गोपाल वर्मा और नवीन रावत शामिल थे।