पौड़ी। ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (रीप) की ओर से जलवायु अनुकुल कृषि (सीएसए) को लेकर कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें विशेषज्ञों ने बदलते मौसम पर चिंता जताई। उन्होंने किसानों को अभी से जलवायु परिवर्तन के साथ फसलों में भी परिवर्तन करने के टिप्स दिए। बताया कि जलवायु परिवर्तन का यही आलम रहा तो आने वाले दशक में फसलें करीब आधी ही रह जाएंगी। ब्लाक सभागार में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्धाटन ब्लाक प्रमुख दीपक कुकशाल ने किया। उन्होंने किसानों को जलवायु परिवर्तन के साथ खेती में भी बदलाव करने को प्रेरित किया। इस मौके पर रीप आजीविका के सहायक प्रबंधक धनीलाल उनियाल ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से किसानों को रसायन मुक्त व जैविक खेती करने की आधुनिक विधियां बताई। उन्होंने फसलों को बचाने के लिए मित्र फसल की तकनीक पर जोर दिया। कहा कि अधिक ऊंचाई वाली जगहों पर मंडुवा, झंगोरा आदि पारंपरिक फसलों को खेती अधिक कारगर होगी। जिसमें कम पानी के साथ कम मेहनत भी लगती है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की प्रशिक्षक जिले के सभी 15 ब्लॉकों में आयोजित किया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन एवं पर्वतीय कृषि पर इसके प्रभाव व बचाव, फसल वर्गीकरण, भू-परिष्करण, पौधशाला प्रबंधन, जल प्रबंधन, मलचिंग व पलवार, फसल उन्नत प्रजाति, पादप पोषण व एकीकृत कृषि आदि को लेकर काश्तकारों को तकनीकी जानकारियां दी जाएंगी।
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