ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में डीएम पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट का आशीर्वाद लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय डीएम पौड़ी ने गंगा तट, स्वर्गाश्रम क्षेत्र और आस-पास के ऐरिया के सौन्दर्यीकरण, निराश्रित गौ के संरक्षण आदि विषयों पर विशेष चर्चा की। विश्व स्तर पर विख्यात यह क्षेत्र जिसमें पूरे विश्व से पर्यटक आते हैं इसलिये इस क्षेत्र में पार्किग की उचित व्यवस्था, शवदाह ग्रह, निराश्रित गौ के संरक्षण की योजना और घाटों के सौन्दर्यीकरण करने की जरूरत है ताकि यहां के पर्यटन और तीर्थाटन को और बढ़ाया जा सके।
स्वामी जी ने कहा कि इस समय भारत हमारे यशस्वी, तपस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में उत्तरोत्तर उन्नति कर रहा हैं तथा उत्तराखंड माननीय कर्मठ पुष्कर सिंह धामी जी नेतृत्व में नई ऊँचाईयाँ की ओर अग्रसर हो रहा हैं। इस समय चारों धामों का स्वरूप भी दिव्य और भव्य हो रहा है। ऐसे में नीलकंठ और स्वर्गाश्रम के क्षेत्र का भी भव्यता से विकास करने की जरूरत है। इस अवसर पर स्वामी जी ने कोटद्वार जो कि ऋषि कण्व व भरत की तपोस्थली है तथा आयुर्वेद के ऋषि चरक की भूमि है उसे भी पर्यटन और तीर्थाटन के केन्द्र के रूप में विकसित किया जा सकता हैं।
स्वामी जी ने कहा कि स्वर्गाश्रम, ऋषिकेश हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। साथ ही गंगा जी और हिमालय जैव विविधता का अकूत भंडार भी है। यह शहर केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह योग की वैश्विक राजधानी भी है। पिथोरागढ़ से पौड़ी गढ़वाल का चार्ज लेकर तुरन्त ही इस अनुपम नगरी के सौन्दर्यीकरण के लिये चितंन करना और कार्ययोजना बनाना आपकी क्रियाशीलता को दिखाता है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एवं अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों के कारण हिमालय का अस्तित्व खतरे में है। हिमालय के गर्भ में प्राकृतिक संसाधनों और दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ का अपार भण्डार हैं जो हमारे स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक उद्योग का आधार हैं। उत्तराखंड हिमालय शुद्ध आक्सीजन और हरित पर्यटन के लिये पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षक करता है हम सभी को मिलकर इस दिव्य आकर्षण को बनाये रखने के लिये कार्य करना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग समस्या के कारण ग्लेशियर सिकुड़ते जा रहे है, तापमान बढ रहा है प्राकृतिक आपदाओं का खतरा मंडरा रहा है, जो हमारे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिये खतरनाक है इसलिये हमें पहाड़ों पर पड़ी बंजर भूमि पर वृक्षारोपण करना होगा और हिमालय को हमें पुनः जड़ी-बूटियों से सजाने के लिये मिलकर प्रयास करने की जरूरत है तथा पहाड की दालें, दलहन और अन्य पहाड़ी उत्पादों को बढावा देना होगा तथा एक बाजार देना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि गंगा के तटों पर पीस टूरिज्म, ऑक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म को विकसित करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि इससे तन स्वस्थ और मन मस्त रहेगा तथा पर्यटन व तीर्थाटन में भी वृद्धि होगी।
स्वामी जी ने युवा और कर्मठ डीएम पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष चैहान जी को रूद्रक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।
परमार्थ निकेतन पहुंचे डीएम पौड़ी ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर लिया आशीर्वाद
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