देहरादून। खीर गंगा की बाढ़ से उपजे हालात से अकेले धराली में ही सेब और सब्जी की फसल को पांच करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जो सेब की फसल बची है उसे बाजार तक पहुंचाने के लिए बंद रास्तों ने चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि हफ्ते भर में बगीचों से सेब निकलना शुरू हो जाएगा। समय पर रास्ते नहीं खुलते हैं तो बागवानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। धराली में जहां अभी मलबे का ढेर लगा है, वहां पर बड़े पैमाने पर सेब के बगीचे थे, जो पूरी तरह खत्म हो गए हैं। यहां सब्जी उत्पादकों को भी आपदा से बड़ा नुकसान हुआ है। उत्तराखंड बागवानी मिशन की ओर से धराली में आपदा से हुए नुकसान का आंकलन किया जा चुका है। पांच करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है। हर्षिल में भी सेब बागवानों को नुकसान पहुंचा हैं। इसके अलावा हर्षिल घाटी के आठ गांवों में सेब की फसल तैयार हो चुकी है। लेकिन गंगोत्री हाईवे बंद होने की वजह से ग्रामीणों को बाजार तक सेब नहीं पहुंच पाने की चिंता सता रही है। बागवानी निदेशक महेंद्र पाल के मुताबिक धराली में नुकसान का आंकलन कर लिया गया है। जल्द ही हर्षिल समेत बाकी गांवों में भी नुकसान का आंकलन किया जाएगा। आपदा से प्रभावित हुए रास्तों को बीआरओ, पीडब्ल्यूडी और स्थानीय प्रशासन खोलने में जुटा है। वैकल्पिक व्यवस्था भी तैयार की जा रही है, उम्मीद है कि फसल निकलने के साथ रास्ते भी खुल जाएंगे। नाशपाती और सेब का समर्थन मूल्य घोषित सरकार ने नाशपाती और सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। सी ग्रेड नाशपाती का सात रुपये प्रति किलो और सेब का समर्थन मूल्य 13 रुपये घोषित किया है। सरकार सी ग्रेड सेब और नाशपाती को सीधे बागवानों से खरीदेगी। इसमें ओले की वजह से दाग लगे फलों को भी खरीदा जाएगा। उद्यान औद्यानिकी परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के मुताबिक नाशपाती की खरीद 30 अगस्त और सेब की खरीद 15 नवंबर तक की जाएगी। मालूम हो कि ए और बी ग्रेड के सेब और नाशपाती सीधे बाजार में जाती है।