देहरादून। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून की ग्रामसभा गल्जवाड़ी में 9 मौजे हैं, राजस्व ग्राम केवल एक है गल्जवाड़ी। पूरी ग्राम सभा गल्जवाड़ी के नाम से जानी जाती है किंतु आप ग्राम गल्जवाड़ी की हालत देखेंगे तो आश्चर्य करेंगे कि ग्राम सभा गल्जवाड़ी है या फिर इंदिरा नगर। जहां प्रधान जी का निवास है वहां का विकास भरपूर हुआ है जबकि आज तक नक्शे में इंदिरा नगर का नाम अंकित नहीं है। तमाम ग्राम सभा एवं सीलिंग की जमीनों को खुर्द-बुर्द कर इंदिरा नगर का विकास किया गया है। पिछले लगातार 14 वर्षों से प्रधान पद पर कायम लीला शर्मा ग्राम प्रधान कम भूमाफिया, आतंक का पर्याय और न जाने क्या-क्या बनी हुयी है। बात यहीं खतम नहीं होती क्यूंकी जंगलात विभाग का भी भरपूर फायदा उठाया गया है। पट्टे की जमीनों का आलम ये है कि पटवारी के साथ मिलकर कहीं का नम्बर कहीं फिट कराकर रिसोर्ट और होटलों को फायदा पहुंचाया गया है। सूत्रों की मानें तो कभी अमरूद बाग ग्राम सभा गल्जवाड़ी में हुआ करता था, जिसका सौदा भी कर दिया गया है। यही नहीं सॉल वुड के लिए पहले गल्जवाड़ी स्कूल के साथ से 400 मीटर की सड़क बनाई गई, जिसमें अनेकों हरे पेड़ काटे गये, और अब दूसरी ओर से सड़क निकाली जा रही है। जिसमें गल्जवाड़ी ग्राम सभा के नागरिकों का आरोप है कि तकरीबन 3 से 4 बीघा ग्राम सभा की जमीन को खुर्द-बुर्द कर सड़क निकाली जा रही है। अब सवाल ये उठता है कि उक्त जंगलात अभी राजस्व भूमि पर सड़क निकालने की अनुमति किस विभाग ने दे दी है। जबकि वन विभाग के जिला अधिकारी का कहना है कि जमीन राजस्व विभाग की है लेकिन पेड़ कटते हैं तो जरूर कार्रवाई करेंगे। जबकि पेड़ तो कटे हैं। जिस प्रकार होटल पुनर्नवा में 200 से 250 पेड़ काटे गये लेकिन कार्रवाई कुछ भी नहीं हुई ।
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ग्रामसभा की बैठक में गद्दूवाला निवासी दिनेश कुमार ने प्रश्न उठाया भी था कि 85 बीघा में 17 बीघा जमीन ग्राम सभा एवं सीलिंग की है। उस पर कब्जा किया जा रहा है। यही नहीं ग्राम खैरी, डोबेवाला एवं ग्राम गल्जवाड़ी में भी ग्रामसभा की जमीनें खुर्द-बुर्द की गई है। वर्तमान प्रधान की जिम्मेदारी नहीं बनती क्या कि ग्राम सभा की जो जमीनें खुर्द-बुर्द की जा रही हैं उन्हें रोका जाए ? जिस पर ग्राम प्रधान लीला शर्मा का कहना था कि उक्त जमीन का सौदा उनके कार्यकाल से पहले हुआ था। क्या अब गल्जवाड़ी ग्राम सभा की जमीनों पर हुए कब्जों की निष्पक्ष जांच करायेंगी?