Sunday, July 20, 2025
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पुराना वाहन खरीद या बेच रहे हैं तो पढ़ लें आरटीओ का नया नियम .. वरना रहोगे परेशान

देहरादून। अगर आप पुराना वाहन खरीद या बेच रहे हैं तो केवल विक्रय-पत्र व पहचान-पत्र की छाया-प्रति लेने से काम नहीं चलेगा। वाहन ट्रांसफर कराने के दौरान आरटीओ कार्यालय में वाहन मालिका का आना अनिवार्य कर दिया गया है। कार्यालय में वाहन मालिक का सत्यापन व हस्ताक्षर मिलान कराया जाएगा। उसके बाद ही वाहन ट्रांसफर किया जाएगा। यही नहीं, इस बीच वाहन साफ्टवेयर में हुए एक बदलाव से वाहन ट्रांसफर कराने में परेशानी और गढ़ गई है। नई व्यवस्था के तहत अब वाहन तभी ट्रांसफर होगा, जब उसके पुराने मालिक के आधार कार्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी जाएगा और यह ओटीपी साफ्टवेयर में दर्ज किया जाएगा। अब तक ट्रांसफर की एप्लीकेशन कंप्यूटर में आगे ही नहीं बढ़ेगी। अभी तक वाहन ट्रांसफर की प्रक्रिया के दौरान केवल खरीदार के मोबाइल पर ओटीपी जाता था, लेकिन अब विक्रेता और क्रेता दोनों के मोबाइल पर ओटीपी आएगा। शनिवार को इस कारण आरटीओ कार्यालय में एक भी पुराना वाहन ट्रांसफर नहीं हो सका।  बताया गया कि जब तक पुराना मालिक ओटीपी नहीं बताएगा, तब तक ट्रांसफर की फीस भी नहीं कट रही। ऐसे में लोग यहां से वहां दौड़ लगाते रहे। लेकिन आरटीओ कर्मचारियों ने इससे हाथ खड़े कर दिए।

गाड़ी ट्रांसफर के दौरान आरटीओ कर्मी विक्रेता और खरीदार से फार्म पर अंगूठा लगवा रहे। नियमानुसार फार्म में हस्ताक्षर या अंगूठा लगाने के विकल्प होते हैं। यदि आपने हस्ताक्षर किए हैं तो अंगूठा लगवाने का कोई नियम नहीं, फिर भी मनमाने ढंग से कर्मी लोगों को परेशान कर रहे।

इसकी बड़ी वजह यह है कि गाड़ी ट्रांसफर करने से पहले गाड़ी की पुरानी फाइल निकालनी होती है। उक्त फाइल से गाड़ी मालिक के हस्ताक्षर मिलान किए जाते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया को दरकिनार कर अंगूठा लगवाया जा रहा। सत्यापन की प्रक्रिया में एक से दो घंटे लाइन में लगाकर परेशान किया जा रहा।

आरटीओ कार्यालय में किसी भी व्यक्ति को परेशान होने नहीं दिया जाएगा। साफ्टवेयर में बदलाव के कारण पुराने मालिक के मोबाइल पर ओटीपी से जुड़ी जो परेशानी आ रही है, इसके लिए मुख्यालय में बात की जा रही है। वहीं, पुराने मालिक को बुलाने का नियम केवल वाहन ट्रांसफर में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए लागू किया गया है। अगर किसी को कोई परेशानी आ रही है तो वह सीधे आकर मुझसे या अन्य अधिकारियों से बात कर सकता है। नियम आमजन को परेशान करने के लिए नहीं, बल्कि उनकी सहूलियत के लिए हैं। -सुनील शर्मा, आरटीओ प्रशासन

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