विकासनगर। आज तक जिस मामले में किसी को सज़ा नहीं हुई उस मामले में कांग्रेस सांसद माननीय राहुल गांधी जी को 2 साल की सज़ा सुनाई गई है। यह न्यायपालिका का निर्णय है और हम इसका सम्मान करते हैं। लेकिन संसद में अडानी के घोटाले पर राहुल जी के दिये गए भाषण के ठीक 9 दिन के बाद उनके खिलाफ मानहानि के मामले को फिर से शुरू किया जाता है। इतना ही नहीं, माननीय न्यायालय का फैसला आने के 24 घंटे के भीतर ही राहुल जी को संसद से डिस्क्वालिफाई करने का फरमान जारी होता है और बंगला खाली करने का नोटिस भी मिलता है। ये सब महज कोई इत्तेफ़ाक नहीं बल्कि भाजपा की दमनकारी नीतियों का एक जीता जागता उदाहरण है। इसके अलावा केंद्र सरकार अपने ‘परममित्र’ अडानी को बचाने के लिए लोकतंत्र का गला घोंट रही है। राहुल जी ने संसद में प्रधानमंत्री जी से इसी को लेकर प्रश्न किया था -बताइये शेल कंपनियों में 20 हज़ार करोड़ रुपये किसके हैं ?
राहुल जी के तीन-तीन बार अनुरोध के बावजूद भी उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया गया। केंद्र में बैठी सरकार इस बात को जानती थी कि यदि राहुल जी संसद में बोलेंगे तो प्रधानमंत्री और अडानी के रिश्तों का पर्दाफाश हो जाएगा।
देश और प्रदेश के अहम मुद्दों जैसे- बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा, पेट्रोल डीज़ल के बढ़ते मूल्यों, महंगी होती रसोई गैस, भ्र्रष्टाचार, भर्ती परीक्षाओं में धांधली से ध्यान हटाने के लिए भाजपा राहुल जी पर हास्यास्पद आरोप लगाने में लगी है। जिनकी पार्टी के लोग उत्तर प्रदेश में एक ओबीसी मुख्यमंत्री के हटने के बाद, उस घर में प्रवेश करने से पहले घर को गंगाजल से धुलवाए थे, वो राहुल गांधी जी के ऊपर ओबीसी को निशाना बनाने का अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। जिस व्यक्ति ने सम्पूर्ण देश में एकता फैलाने के उद्देश्यों से 4000 किलोमीटर पैदल यात्रा की हो और सीधे लोगों से उनकी चिंताओं को सुना हो और ‘असमानता’ जैसा अहम मुद्दा उठाया हो, वो व्यक्ति कैसे एक समुदाय को निशाना बना सकता है ?
भाजपा के नेतागण ये अनर्गल आरोप सिर्फ राष्ट्र और प्रदेश हित के महत्वपूर्ण मुद्दों से आम जन का ध्यान हटाने के लिए लगा रहे हैं। क्योंकि वो जानते हैं कि दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक डबल इंजन की भाजपा सरकार का इंजन पूरी तरह से फेल हो चुका है। उत्तराखंड राज्य में स्थिति पूर्ण रूप से भगवान भरोसे है। उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी हत्याकांड के इतने माह बीत जाने के बाद भी सरकार वीआईपी का नाम सामने लाने में विफल रही है। इससे ये साफ प्रतीत होता है की सरकार उक्त ‘वीआईपी’ को बचाने की कोशिश कर रही है। भाजपा हमेशा से ही अपराधियों और भ्र्रष्टाचारियों को संरक्षण देती रही है। उत्तराखंड प्रदेश में यूकेट्रिपलएससी पेपर लीक में लिप्त सफेदपोशों को बचाये जाने का मामला इसका एक उदाहरण है। युवाओं के भविष्य के साथ कैसे खिलवाड़ हो रहा है कोई देखने वाला एवं उनकी आवाज़ को सुनने वाला ही नहीं है।भाजपा जिन बातों से बिल्कुल बेखबर रहती है वो जनता से जुड़े मुद्दे हैं। जोशीमठ के लोग आज भी परेशान हैं। घरों में दरारें आ जाने से उनका जीवन मुश्किलों में गुज़र रहा है लेकिन सरकार का उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं है.हर मुद्दे से आम जन का ध्यान केवल भटकाया जा रहा है और कैसे सत्ता बनी रहे पूरा ध्यान भाजपा का केवल उसी पर है।प्रदेश में महंगाई का एक नया उदाहरण आज के समाचार पत्रों द्वारा पता चलता है कि कैसे विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली की दरों में वृद्धि कर दी गई है। उपभोक्ताओं को इस ऊर्जा प्रदेश में लगातार महंगाई के बोझ तले दबाया जा रहा है दूसरी ओर नई शराब नीति बनाकर सस्ती शराब इस देवभूमि में परोसी जा रही है , प्रदेश हित की कोई चिंता ही नहीं ।यहाँ शराब सस्ती और ऊर्जा प्रदेश में बिजली महँगी ये कैसा मज़ाक़ है।पूर्ण तरीक़े से प्रजातांत्रिक व्यवस्था से तानाशाही वाला परिवर्तन है । यही तानाशाही सम्पूर्ण देश में प्रदेश में जनता के मुद्दों से एवं जन जन के कल्याण से ऊपर होती जा रही है।