देहरादून। उत्तराखंड में 2015 में हुई दारोगा भर्ती घोटाले में 20 दारोगाओं पर गाज गिरी है। पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिला प्रभारियों को आदेश जारी कर 2015 में हुए 20 दरोगाओं को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। विजिलेंस द्वारा अभी तक की जांच पर प्रषित रिपोर्ट के क्रम में जांच में संदिग्ध पाए गए 20 उपनिरीक्षकों को जांच पूरी होने तक निलंबित करने के लिए सम्बन्धित जनपद प्रभारियों को निर्देशित कर दिया गया है।प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि 20 दारोगा रुपये देकर भर्ती हुए थे। बता दें कि वर्ष 2015 में 339 दारोगाओं की भर्ती हुई थी। यूकेएसएसएससी की भर्ती घपले की जांच के बाद गिरफ्तार किए गए नकल माफिया से जब एसटीएफ ने पूछताछ की तो उस दौरान सामने आया की दारोगा भर्ती में भी नकल हुई थी। करीब आठ वर्ष पूर्व वर्ष 2015 में हुई यह भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी। दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी। उस दौरान भी भर्ती में घपले के आरोप लगे थे, लेकिन सरकार की ओर से जांच न कराने के कारण मामला दब गया। उत्तराखंड अधिनस्थ चयन सेवा आयोग (यूकेएसएसएससी) भर्ती परीक्षा की घपलेबाजी में पंतनगर यूनिवर्सिटी का एक रिटायर्ड अधिकारी भी गिरफ्तार हुआ था, जिसके तार नकल माफिया हाकम सिंह रावत के साथ जुड़े। जब गहनता से जांच की गई तो पता चला कि दोनों ने दारोगा भर्ती परीक्षा में भी गड़बड़ी करवाई गई थी। अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था वी मुरूगेशन ने बताया कि वर्ष 2015-16 उपनिरीक्षक सीधी भर्ती में अनियमित्ता होने की जांच विजिलेंस द्वारा की जा रही है।