विकासनगर। पछुवादून में सेलाकुई से लेकर डाकपत्थर तक गणपति महोत्सव के दौरान रिमझिम फुहारों के बीच गणपति के भजनों पर नाचते, गाते श्रद्धालु और सड़कों पर उड़ता गुलाल यह नजारा दिखाई दिया। हर ओर बप्पा के जयकारों की गूंज रही। सेलाकुई में गणपति विसर्जन के बजाय शोभा यात्रा निकाल कर दुबारा प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। सेलाकुई में ढोल नगाड़ों के साथ शिव मंदिर से गणेश मूर्ति की शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा से पूर्व गणपति बप्पा का अलौकिक शृंगार किया गया। ढोल-नगाड़ों की धुन और भक्ति गीतों पर नाचते हुए श्रद्धालु कस्बे के कई स्थानों से शोभा यात्रा में शामिल हुए। शोभा यात्रा शिव मंदिर से प्रारंभ होकर हरिपुर, निगम रोड, मुख्य बाजार सेलाकुई की परिक्रमा कर दोबारा मंदिर में पहुंची। जगह जगह श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा। शिव मंदिर समिति के अध्यक्ष शूरवीर चौहान ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और यहां भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। लिहाजा यहां विसर्जन कहीं से भी उचित नहीं लगता। समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया कि मंदिर में अष्टधातु की मूर्ति लाई जाए और प्रत्येक वर्ष गणपति उत्सव के अवसर पर विधिवत गणेश जी की पूजा अर्चना हो और नगर भ्रमण के बाद दोबारा से मंदिर में स्थापित कर दी जाए। शोभायात्रा में शिव पार्वती, राम दरबार, गणेश जी की झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं।
रिमझिम फुहारों के बीच गणपति मूर्ति का विसर्जन: विकासनगर, डाकपत्थर, हरबर्टपुर, सहसपुर में शनिवार को रिमझिम फुहारों के बीच गणपति मूर्तियों का विसर्जन किया गया। कस्बों से लेकर यमुना और आसन नदी तट तक श्रद्धालु पूरी तरह से रंग बिरंगे अबीर गुलाल उड़ाते भक्ति गीतों पर थिरकते नजर आए। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में गणपति विसर्जन के लिए जगह-जगह कृत्रिम जल कुंड बनाए गए थे। कई जगह सत्यनारायण कथा, छप्पन भोग, हवन और महाआरती के बाद गणपति की मूर्ति का विसर्जन किया गया। धार्मिक आयोजनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर गणपति बप्पा की महिमा का गुणगान करते दिखाई दिए। विकासनगर के गोरखा बाग में स्थापित गणेश मूर्ति की विसर्जन यात्रा दोपहर बाद तीन बजे शुरु हुई है। श्रद्धालु दोपहर से विसर्जन की तैयारियों में जुट गए थे। पुष्प वर्षा के लिए श्रद्धालु पहले से ही सड़क के दोनो किनारों पर खड़े थे। महिला और पुरुष श्रद्धालु गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ का जयघोष करते हुए और नाचते गाते हुए चल रहे थे। ढोल नगाड़ों से पूरा इलाका गुंजायमान रहा। डाकपत्थर में यमुना तट पर प्रतिमा का विधि विधान से विसर्जन किया गया। इसके साथ ही भगवान की छोटी मूर्तियों को श्रद्धालु गोद में लेकर विसर्जन के लिए पहुंचे। इस दौरान डीजे और बैंडबाजे के धुन पर महिलाएं और पुरुष भक्त नृत्य करते देखे गए। इससे माहौल भक्तिमय रहा। रास्ते भर झूमते, नाचते, अबीर, गुलाल उड़ाते हुए विसर्जन स्थल पर पहुंचकर विधि विधान से भगवान की प्रतिमा को जल में समर्पित किया।