देहरादून। महात्मा ज्योतिराव फुले की 197वीं जयंती पर उनके समाज सुधार के कार्य याद किए गए। वक्ताओं ने कहा कि फुले ने हर धर्म, हर जाति के लोगों, महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया। भारतीय दलित साहित्य अकादमी उत्तराखंड की ओर से गुरुवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में फुले के जीवन दर्शन पर आयोजित गोष्ठी का मुख्य अतिथि डा. राजेश पाल, सामाजिक न्यायकृति मंत्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष नानक चंद, समाज सेवी सुरेश सैनी, प्रदेश अध्यक्ष प्रो. जयपाल सिंह, महासचिव चन्द्र सैन, प्रदेश उपाध्यक्ष आशा लाल ने शुभारंभ किया। डा. पाल ने कहा कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिराव फुले ने भारत में एक सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने शिक्षा के महत्व को समाज के सामने रखा। नानक चंद ने कहा कि महात्मा फुले बहिष्कृत समाज के मुख नेताओं में एक थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक जनवरी 1848 को पहले विद्यालय की स्थापना की। उन्होंने 18 विद्यालय खोलकर समाज के विकास को गति दी। वो समाज की सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों के खिलाफ जीवन भर लड़ते रहे। उन्होंने हर धर्म हर जाति के लोगों के लिए काम किया। आशा लाल ने कहा है कि महात्मा फुले पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकारी के पक्षधर थे। मौके पर चिरंजी लाल, प्रीतम सिंह फुलवंशी, कर्ताराम कीर्ति, कल्याण सिंह आदि मौजूद थे।
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