देहरादून। पेयजल के राजकीयकरण को लेकर पेयजल कर्मचारियों का आंदोलन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होते ही शुरू हो जाएगा। पेयजल संयुक्त कर्मचारी मोर्चा ने पेयजल के राजकीयकरण को लेकर नए सिरे से आंदोलन खड़ा करने की तैयारी कर ली है।मोर्चा संयोजक रमेश बिंजौला ने कहा कि शासन स्तर पर दिए गए आश्वासनों के बाद ही राजकीयकरण के आंदोलन को चुनाव आचार संहिता तक टाला गया है। आश्वासन दिया गया था कि चुनाव आचार संहिता के बीच शासन स्तर पर पेयजल के राजकीयकरण और ट्रेजरी से वेतन देने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। ट्रेजरी से वेतन किस तरह दिया जाएगा, इसको लेकर शासन स्तर पर पूरा होमवर्क किया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से बाकायदा एक कमेटी भी गठित की गई।
कर्मचारी भी चुनाव आचार संहिता तक इस पूरी प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। आचार संहिता समाप्त होते ही यदि कर्मचारियों को लगेगा कि एकबार फिर उन्हें दिया गया आश्वासन पूरा नहीं किया गया है, तो आंदोलन तय है। कहा कि पेयजल के राजकीयकरण से सबसे अधिक सरकार को लाभ है। जल निगम के सेंटज का पूरा पैसा सरकार को मिलेगा। जल संस्थान के पेयजल बिलों का पैसा पूरा शासन के पास जाएगा। जो भी बजट खर्च होगा, उस पर शासन की सीधी निगरानी होगी। कर्मचारियों का भी भविष्य सुरक्षित रहेगा। कहा कि सरकार पेयजल एजेंसियों को मजबूत करे। न कि बाहरी एजेंसियों के दबाव में पेयजल एजेंसियों को खत्म करने की साजिश रची जाए।
आचार संहिता समाप्त होते ही पेयजल कर्मियों का आंदोलन होगा शुरू
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