देहरादून। उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार चारों धामों (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ) में 22 मई शाम साढ़े पांच बजे तक 42 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। आज बुधवार 22 मई को भी तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई। सबसे ज्यादा 19 मौतें केदारनाथ धाम में हुई है।
केदारनाथ धाम के बाद यमुनोत्री धाम में 12 श्रद्धालु, बदरीनाथ में 9 और गंगोत्री धाम में दो तीर्थयात्रियों की जान गई है। चारधाम यात्रा के दौरान जान गंवाने वाले सभी श्रद्धालुओं की उम्र 55 साल से ज्यादा बताई जा रही है। अधिकाशं श्रद्धालुओं की मौत का कारण हार्ट अटैक और अन्य बीमारियां बताई जा रही है। चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की बढ़ती मौत का आंकड़ा सरकार के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। यहीं कारण है कि सरकार लगातार हेल्थ स्क्रीनिंग पर जोर दे रही है।
उत्तराखंड सरकार लगातार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं खासकर 55 साल से ज्यादा उम्र के तीर्थ यात्रियों से हेल्थ स्क्रीनिंग जरूर कराने की अपील कर रही है। साथ ही सरकार ही तरफ से कहा जा रहा है कि यदि डॉक्टर तीर्थ यात्रियों को चारधाम यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं देते हैं तो वो स्वस्थ होने के बाद ही यात्रा पर आए। हालांकि कुछ श्रद्धालु डॉक्टरों की सलाह को दरकिनार करते हुए सेल्फ रिस्क का फॉर्म भरकर चारधाम की यात्रा पर जा रहे है।
बता दें कि यमुनोत्री धाम तक जाने के लिए तीर्थ यात्रियों को करीब 5 किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। वहीं केदारनाथ धाम की बात की जाए तो यहां भक्तों को बाबा के दर पर जाने के लिए करीब 16 किमी लंबा पैदल ट्रैक तय करना पड़ा है। ऐसे में पहाड़ी इलाकों और ठंड अधिक होने के कारण कई बार उम्रदराज और अन्य बीमारियों के ग्रस्ति श्रद्धालुओं का शरीर जवाब दे जाता है, जिस कारण विपरित परिस्थितियों में उनकी मौत भी हो जाती है।
चारधाम यात्रा में 13 दिनों के अंदर गई 42 श्रद्धालुओं की जान
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